Ads (728x90)

Pages

इंटरनेट क्या है और यह कैसे काम करता है?

इंटरनेट दुनिया भर के कम्प्यूटर्स का एक जाल है और दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है। यह कंप्यूटर नेटवर्क की एक ऐसी प्रणाली है जो दुनिया भर में उपकरणों को जोड़ने के लिए TCP/IP का उपयोग करती है। इसके माध्यम से पूरी दुनिया में किसी भी कंप्यूटर के साथ जुड़ा जा सकता है और डाटा शेयर करने किया जा सकता है। जिस तरह से हमारे घरों में डिश टीवी के कनेक्शन लगे होते हैं इसी तरह से इंटरनेट का भी कनेक्शन लेना होता है चाहे वो वायर के द्वारा हो या वायरलेस हो। इसके माध्यम से पूरे विश्व भर में बैठे किसी भी कंप्यूटर पर किसी भी तरह का डाटा सेंड कर सकते हैं जैसे टेक्स्ट, इमेज, वीडियो, ईमेल इत्यादि।

उद्देश्य

इंटरनेट का मुख्य उद्देश्य डेटा (Data) और संचार (Communication) के लिए वैश्विक पहुंच ( यानी पूरी दुनिया से जुड़ना ) प्रदान करना है। इंटरनेट और नेटवर्किंग का उपयोग चिकित्सा, विज्ञान, इंजीनियरिंग इत्यादि में अनुसंधान को आगे बढ़ाने के साथ-साथ वैश्विक रक्षा और निगरानी को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

इंटरनेट कैसे काम करता हैं?

पहले इंटरनेट को चलने के लिए उपग्रह (Satellite) का प्रयोग किया जाता था परन्तु स्पीड के काम होने के कारन आजकल फाइबर ऑप्टिक के माध्यम से इंटरनेट चलाया जाता है Satellite के बारे में आप हमारे ब्लॉग पर आने वाली पोस्ट जरूर पढ़े।

इंटरनेट को लोगो तक पहुँचाने के लिए तीन चरणों से गुजरना पड़ता है

Tier 1

इसमें वो कंपनी आती हैं जिन्होंने पूरी दुनिया में अपनी फाइबर ऑप्टिक केबल समुन्दर के जरिये बिछाई होती है। वैसे देखा जाये तो इंटरनेट बिल्कुल फ्री होता है क्योंकि जो खर्च शुरू में आता है या रख रखाव का हो खर्च होता है वही लगता है। इसी तरह सारे देश एक दूसरे से फाइबर ऑप्टिक के माध्यम से जुड़े होते हैं। जो कंपनी अपनी इन्वेस्टमेंट से इन केबल हो समुन्दर में बिछाती हैं उन्हें टियर 1 कंपनी कहते हैं। टियर 1 कंपनियां टियर 2 कंपनियों से पैसा लेती है इन केबल्स का उपयोग करने के लिए जोकि इनकी इनकम का साधन है। भारत में टाटा कम्युनिकेशन टियर 1 कंपनी है जिसने फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाई हुयी है और अब रिलायंस जिओ ने कुछ देशो में बिछाई है।

Visit https://www.submarinecablemap.com

Tier 2

टियर 1 कंपनियों द्वारा भारत में इंटरनेट तो बिछा दिया परन्तु उसे हर राज्य हर जिले में पहुँचाने के लिए Tier 2 कंपनियां काम करती हैं जिसमें Reliance Jio, Idea, Vodafone, BSNL, MTNL etc इत्यादि कंपनियां आती हैं। ये कंपनियां अपने टावर लगाती हैं अपनी केबल को राज्यों में जिलों में बिछाती हैं। अब ये कम्पनियां टियर 1 कंपनियों को PER GB के हिसाब से या कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से पैसा देती हैं और इनकी बिछाई हुयी केबल का इस्तेमाल डाटा को लाने लेजाने में करती हैं।

Tier 3

टियर 3 कम्पनियॉ टियर 2 कंपनियों से कनेक्शन खरीदती हैं और ग्राहकों को सर्विस देती हैं। टियर 3 के उदाहरण हैं:- Hathway India, Tikona, Triple Play etc. ये कंपनियां लोकल लेवल पर एक लीज लाइन टियर 2 कंपनियों से ले लेती हैं और अपने हिसाब से प्लान बनाकर ग्राहकों को बेचती हैं और टियर 2 कंपनियों को एकमुश्त अमाउंट दे देती हैं।

फाइबर ऑप्टिक कनेक्शन इतना फ़ास्ट क्यों है?

फाइबर ऑप्टिक केबल में डाटा को ट्रांसफर करने के लिए लाइट का प्रयोग किया जाता है जैसा की हम सभी जानते हैं की लाइट की स्पीड बहुत ज्यादा होती है इसलिए डाटा ट्रांसफर करने की स्पीड भी बहुत ज्यादा होती है क्यूंकि यह लाइट का उपयोग करती है इसलिए Noise की प्रॉब्लम भी फाइबर केबल में नाम मात्र की होती है और डाटा लोस नहीं होता।

इंटरनेट का मालिक कौन है क्या आप जानते हैं?

इंटरनेट का कोई एक मालिक नहीं है। हालाँकि यह सरकारों और प्राइवेट कंपनियों या संस्थाओं के सहयोग से चलता है।

इंटरनेट के उपयोग / उदाहरण

  • बातचीत करने के लिए।
  • मनोरंजन करने के लिए।
  • ऑनलाइन शॉपिंग करने के लिए।
  • आटोमेटिक अकाउंट मैनेजमेंट करने के लिए।
  • किसी भी कंपनी या दुकान का रिकॉर्ड रखने के लिए ताकि किसी भी सुचना को जब मर्ज़ी कुछ ही सेकंड में खोजा जा सके।
  • शिक्षा के क्षेत्र में
  • ऑनलाइन पत्र व्यवहार करने के लिए (By Email)
  • हॉस्पिटल, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी इत्यादि में।
  • इंटरनेट का इतिहास

    कंप्यूटर जगत के इतिहास में एक कंप्यूटर को दूसरे कंप्यूटर से जोड़ने की जरूरत महसूस हुई तब से इंटरनेट के अविष्कार की नीव पढ़नी शुरू हुई।

    किसी कंप्यूटर से दूसरा कंप्यूटर में डाटा को ट्रांसफर करना कार्य को गति देना इत्यादि सम्मिलित थे। सबसे पहले यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका में एक कंप्यूटर को दूसरे कंप्यूटर से जोड़ा गया जिसे ARPANET नाम दिया गया। तथा बाद में साठ के दशक खत्म होते होते ARPANET साथ साथ कई और तकनीक इस्तेमाल होने लगी जैसे टेलीनेट, टाइम नेट इत्यादि और अमेरिका के रक्षा विभाग और रिसर्च ने इसे अपने अनुसंधान के लिए सम्मिलित कर लिया।

    WWW (W3) की खोज: WWW की खोज 1989 में टिम बेर्नर ली नाम के व्यक्ति ने सबसे पहले वर्ल्ड वाइड वेब की खोज की। इसे हम W3 के नाम से भी जानते है। WWW के अविष्कार के बाद इंटरनेट का विस्तृत रूप होने लगा। इसके बाद कई तरह के बदलाव इंटरनेट की दुनिया में हुए जो आज सबके सामने हैं।

    आज के टाइम में वेब सर्वर क्लाइंट क्लाउड टेक्नोलॉजी इत्यादि सभी इंटरनेट के माध्यम से अपना अपना बिज़नेस चला रही हैं। आने वाले समय में यह और भी फायदेमंद साबित होने वाला है।


    एक टिप्पणी भेजें