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ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?

ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर और कंप्यूटर के बीच का माध्यम है जिसकी सहायता से यूजर कंप्यूटर से अपना काम करवा सकता है ।

कितनी तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम होते हैं?

निम्नलिखित प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम हैं।

Batch operating system

एक जैसे कार्यों को इकट्ठा करके उनका बैच / टोली (Group) बनाकर जब ऑपरेटिंग सिस्टम कार्य करता है तो उसे बैच ऑपरेटिंग सिस्टम कहते हैं इस प्रोसेस में जितने भी कार्य एक बैच में होते हैं एक एक करके सभी कार्य को ऑपरेटिंग सिस्टम पूर्ण करता है।

बैच ऑपरेटिंग सिस्टम के लाभ:
  • एक जैसे कार्य को करवाने के लिए समय खराब नहीं करना पड़ता केबल ऑपरेटर के द्वारा कमांड दे दी जाती है।
  • समय की बचत होती है।
  • बैच में बार-बार होने वाले कार्य आसानी से करवाए जा सकते हैं।
बैच ऑपरेटिंग सिस्टम के नुकसान:
  • एक जैसे कार्यों को अलग अलग करना मुश्किल हो जाता है।
  • बैच के विफल होने पर समस्या को ढूंढना मुश्किल हो जाता है।
  • कार्यों के क्रमिक रूप से एग्जीक्यूट होने के कारण प्राथमिकता नहीं दी जा सकती जिससे पहले होने वाला या थोड़े समय में होने वाले कार्य में भी काफी समय लग जाता है।

Time-sharing operating systems

टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम को समझने से पहले हमें मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम को समझना होगा हमारा प्रोसेसर एक समय में केवल एक ही कार्य कर सकता है लेकिन इसकी स्पीड इतनी ज्यादा होती है कि एक समय में एक से ज्यादा कार्य भी प्रोसेसर (CPU) कर देता है और हमें ऐसा लगता है कि सभी कार्य साथ साथ हो रहे हैं इसीलिए प्रोसेसर से एक साथ एक से ज्यादा कार्य करवाने के लिए मल्टी टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम को काम में लिया जाता है।

जैसा कि हमने समझा कि प्रोसेसर तो केवल एक समय में केवल एक ही कार्य कर सकता है परंतु इसकी स्पीड के कारण हम एक साथ कई कार्य प्रोसेसर से करवाते हैं ऐसा इसलिए संभव हो पाता है क्योंकि हर कार्य को प्रोसेसर का कुछ ही समय दिया जाता है उसके बाद प्रोसेसर को दूसरा कार्य तथा फिर तीसरा कार्य दे दिया जाता है और पहले कार्य को तब तक इंतजार करना होता है जब तक कि उसका नंबर दोबारा नहीं आता इन सब की मैनेजमेंट टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम करता है।

टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम के लाभ:
  • प्रत्येक कार्य को एक समान अवसर मिलता है।
  • CPU का निष्क्रिय समय कम किया जा सकता है।
टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम के नुकसान:
  • विश्वसनीयता की समस्या।
  • कई कार्यो का प्रबंधन मुश्किल होता है।
  • प्राथमिकता वाले कार्यों में समय प्रबंधन मुश्किल हो जाता है।

Distributed operating System

डिस्ट्रीब्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कार्य का वितरण तो आइए जानते हैं आसान भाषा में कंप्यूटर द्वारा जब किसी बहुत बड़े या बहुत बड़े कार्य को करवाना होता है एक कंप्यूटर द्वारा ना करवा कर कई कंप्यूटरों द्वारा करवाया जाता है इस तरह के कार्यों को करवाने के लिए डिस्ट्रीब्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता होती है हर एक कंप्यूटर का अपना प्रोसेसर होता है और अपनी अलग मेमोरी होती है जिसके माध्यम से वह अपना कार्य पूरा करके देते हैं और डिस्ट्रीब्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम यह देखभाल करता है कि कौन सा कार्य किस कंप्यूटर से करवाना है ताकि किसी एक कंप्यूटर पर ज्यादा वर्कलोड ना आए डिस्ट्रीब्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम को हम loosely coupled systems के नाम से भी जानते हैं । यह नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम का विस्तार है।

डिस्ट्रीब्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम के लाभ:
  • संसाधन साझा करने में आसानी होती है।
  • यदि एक साइट विफल हो जाती है, तो शेष साइटें संचालन जारी रख सकती हैं। क्योंकि सभी सिस्टम एक दूसरे से स्वतंत्र हैं।
  • होस्ट कंप्यूटर पर लोड कम करता है।
  • हर एक कंप्यूटर पर काम बंट जाता है।
  • सिस्टम को अपने कार्य के अनुसार बढ़ाया जा सकता है।
  • कार्य जल्दी पूर्ण हो जाता है।
डिस्ट्रीब्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम के नुकसान:
  • मुख्य नेटवर्क की विफलता पर पूरा सिस्टम रुक जाता है।
  • बहुत महंगा पड़ता है।
  • ऑपरेट करना और समझना मुश्किल है।

Network Operating System

नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम सर्वर के ऊपर चलता है और इसमें डाटा को मैनेज करने की, यूजर्स को मैनेज करने की और ग्रुप को मैनेज करने की क्षमता होती है यह सिक्योरिटी उपलब्ध करवाता है और किसी भी कंप्यूटर को प्रिंटर, स्कैनर आदि डिवाइसेज शेयर करना और एप्लीकेशंस का उपयोग करने की परमिशन उपलब्ध करवाता है।

नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम के लाभ:
  • अत्यधिक स्थिर केंद्रीकृत सर्वर।
  • सुरक्षा सर्वर से मैनेज होती है ।
  • विभिन्न स्थानों से सर्वर को access किया जा सकता है।
  • नई तकनीक में बदलाव करना आसान है।
टवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम के नुकसान:
  • सर्वर महंगे होते हैं।
  • रखरखाव और देखभाल में खर्च ज्यादा पड़ता है।
  • केंद्रीकृत सरवर के खराब होने पर सारा सिस्टम ठप हो जाता है।

Real Time operating System

रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम है जो यह सुनिश्चित करता है कि इनपुट किए गए डाटा को तुरंत प्रभाव से प्रोसेस करके तुरंत वापिस देना बिना किसी देरी के। इस टाइम पीरियड को रिस्पॉन्स टाइम कहा जाता है। किसी इनपुट का जवाब देने के लिए सिस्टम द्वारा लिया गया समय और आवश्यक प्रोसेस्ड जानकारी के प्रदर्शन को "रिस्पांस टाइम" कहा जाता है। तो इस विधि में ऑनलाइन प्रोसेसिंग की तुलना में रिस्पांस टाइम बहुत कम है।

रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा निर्धारित समय तथा सुनियोजित तरीके से कार्य को कंप्लीट करवाना होता है अन्यथा सिस्टम फेल हो सकता है। इसके उदाहरण है जैसे शेयर मार्केट में चलने वाले विभिन्न स्टॉक के रेट, विभिन्न एयरलाइन के प्रोजेक्ट और साइंस के प्रोजेक्ट इत्यादि।

रीयल-टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम दो प्रकार के होते हैं।

हार्ड रियल टाइम सिस्टम

ये ऑपरेटिंग सिस्टम उन ऍप्लिकेशन्स के लिए हैं जहां समय की कमी बहुत सख्त है और यहां तक कि सबसे कम संभव देरी स्वीकार्य नहीं है।

सॉफ्ट रियल टाइम सिस्टम

ये ऑपरेटिंग सिस्टम ऐसी ऍप्लिकेशन्स के लिए हैं जहां समय-बाधा के लिए कम सख्त है।


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