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भाषा के मानव द्वारा समझने के स्तर के आधार पर प्रोग्रामिंग भाषाओं को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है।

  1. निम्न स्तरीय भाषा (Low Level Language)
    1. मशीन भाषा (Machine Language)
    2. असेम्बली भाषा (Assembly Language)
  2. उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language)

मशीन भाषा (Machine Language)

मशीनी भाषा ( Machine language ) वह भाषा होती है जिसमें केवल 0 (Off) और 1 (on) दो अंको का प्रयोग होता है। यह कंप्यूटर की अपनी भाषा है जिसे वह समझ लेता है उसी प्रकार जिस प्रकार हम हिंदी भाषा को बड़ी आसानी से समझ लेते हैं। जिस तरह से इंसान द्वारा समझी जाने वाली भाषा को हमने अलग-अलग नाम दिए हुए हैं उसी तरह से मशीनी भाषा को भी नाम दिया गया है जिसे केवल मशीन समझ सकती है हम मशीन भाषा को समझ तो सकते हैं परन्तु हम मशीने भाषा में बात करने के लिए केवल लिखित माध्यम का ही प्रयोग कर सकते हैं जिसे हम कंप्यूटर की भाषा में कोडिंग कहते हैं।

मशीनी भाषा बाइनरी कोड (Binary Code) में लिखी जाती है जिसके दो अंकों 0 और 1 का प्रयोग होता है। 0 का मतलब लो या ऑफ़ (Low Or off) होता है और 1 का मतलब हाई या ऑन (High or On) होता है। 0 और 1 को समझना है तो अपने अपने घरों में लगे इलेक्ट्रिकल स्विच जिससे आप अपने घर में लगे उपकरण जैसे पंखे कूलर फ्रिज चलाते हो उन्हें देख ले जब किसी उपकरण को चलाते हैं तो बटन को ऑन करना पड़ता है जिसे हम 1 कहेंगे जोकि एक इलेक्ट्रिक सिग्नल है और बंद करने के लिए बटन को बंद करेंगे जोकि ऑफ यानि 0 का इलेक्ट्रिकल सिग्नल है।

मशीनी भाषा असल में इन्ही इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स की सहायता से मिलकर बनती है। इसे हम कुछ इस तरह समजते हैं

Binary System Decimal System
000 0
001 1
010 2
011 3
100 4
101 5
110 6
111 7

इसी तरह और आगे की कैलकुलेशन करने के लिए हमें 4 डिजिट का कोड लेना होगा जैसे 8 को हम बाइनरी में 1000 कहेंगे। इन्ही सिम्बल्स का प्रयोग अगर हम करते है तो मशीने सीधे सीधे इसको बड़ी आसानी से समझ सकती हैं। परन्तु इन सिम्बल्स को समझना बहुत ही कठिन है क्योंकि हमारे पास इतना समय नहीं होता है की हम इन सिम्बल्स का प्रयोग दैनिक जीवन में कर सकें इसलिए कंप्यूटर वैज्ञानिकों ने इसके अनुवादक बना दिए हैं जिसे हम Compiler or Interpretor कहते हैं। इनके बारे में हम अपनी आने वाली पोस्ट्स में पढेंगे और पूरी चर्चा करेंगे।

लाभ

  • मशीन को इसे समझने के लिए समय नष्ट नहीं करता पूरी स्पीड के साथ इस भाषा में लिखे कोड को एक्सीक्यूट कर देता है।
  • कोई अनुवादक बनाने की जरुरत नहीं है।

हानियाँ

  • कंप्यूटर के हार्डवेयर के विषय में जानकारी होना आवश्यक है।
  • गलतियाँ (Error) होने की संभावनाएं बहुत ही अधिक होती हैं।
  • त्रुटि होने पर त्रुटि की तलाश कर पाना बहुत कठिन है।
  • मशीने लैंग्वेज को हर कोई आसानी से नहीं समझ सकता।

असेम्बली भाषा (Assembly Language)

मशीनी भाषा में दिए अंकों के संकेतों को एक कोड दिया जाता है। जिसे Mnemonic Code कहते हैं इन्ही कोड का प्रयोग करके प्रोग्राम को लिखा जाता है। इनको बाद में फिर एक अनुवादक जिसे हम असेम्बलर कहते हैं की सहायता से मशीने भाषा में बदल कर एक्सीक्यूट करवाया जाता है तथा वापिस रिजल्ट हमें दिया जाता है। यह भाषा अलग-अलग हार्डवेयर के लिए अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिए

Mnemonic Code Machine Code
ADD 0101
SUB 0110
MUL 0111
DIV 1000

असेंबली भाषा में हमें अपने कोड को चलने के लिए एक माइक्रोप्रोसेसर की जरुरत होती हैं जिसे इस तरह डिजाईन किया जाता है की इसमें लिखे जाने वाले Mnemonic Code को मशीनी भाषा में बदल कर उस पर जो भी काम करना है उसे पूरा करने के बाद वपिस रिजल्ट हमें दे देता हैं। इसे हम उसी तरह से समझते हैं जैसे हम किसी दुसरे देश में जाते हैं और हमें हिंदी आती है और जिस देश में जा रहे हैं वह के लोग इंग्लिश में बात करते हैं तो हमें एक ऐसे बन्दे की जरुरत पड़ेगी जो हमें उस देश के लोगो के साथ बात करने के लिए इंग्लिश को हिंदी और हिंदी को इंग्लिश में बात करने में मदद कर सके उसे हम ट्रांसलेटर या अनुवादक कहेंगे। ऐसा करने के लिए अनुवादक को दोनों भाषाओँ का ज्ञान होना अति अवश्यक है ताकि वह बातचीत करने में सहायता कर सके।


  Figure:  Programming Language Types   

उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language)

यह मानव के समझने योग्य होती है। इसकी शब्दावली सामान्य अंग्रेजी जैसी लगती है। इसीलिए यह मानव के लिए सुविधाजनक है। यह भाषा अंग्रेजी में होने के कारन कोडिंग करने में सहायक होती है। परन्तु हमारी मशीने तो केवल अपनी भाषा यानि मशीने भाषा को ही समझ पाती है असेंबली भाषा की ही तरह इसमें भी ट्रांसलेटर या अनुवादक की सहायता से हम हमारे कोड को मशीन भाषा में बदल पाते हैं जिसे हम COmpilor या Interpretor बोलते हैं। उच्च स्तरीय भाषायों के उदाहरण हैं जैसे बेसिक (BASIC), फॉरटरैन (FORTRAN), कोबोल (COBOL), पास्कल (PASCAL), सी (C), सी++ (C++), जावा (JAVA), VISUAL BASIC, Visual Basic.net, HTM इत्यादि।




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