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कम्पाइलर और इंटरप्रेटर में अंतर

कंपाइलर और इंटरप्रेटर दोनों ही भाषा अनुवादक हैं जिसका कार्य हाई लेवल लैंग्वेज में लिखे हुए प्रोग्राम को मशीनी भाषा में बदलना है दोनों की कार्यशैली अलग-अलग है दोनों ही सिस्टम सॉफ्टवेयर हैं इसलिए इनकी कार्यशैली के आधार पर इनमें जो अंतर है चलिए उसे हम जानते हैं।

कम्पाइलर (Compiler) इंटरप्रेटर (Interpreter)
हाई लेवल लैंग्वेज में लिखे पूरे प्रोग्राम को एक बार में ही मशीनी भाषा में बदल देता है। हाई लेवल लैंग्वेज में लिखे प्रोग्राम को एक-एक लाइन करके अनुवाद करता है या यूं कहें कि मशीनी भाषा में बदलता है।
कंपाइल होने के बाद ही किसी भी प्रकार की गलती / Error को बताता है इसलिए सारी गलतियों का एक बार में ही पता लग जाता है तथा गलतियां ठीक होने के बाद दोबारा कंपाइल करके ही प्रोग्राम को चलाया जा सकता है। इंटरप्रेटर एक एक लाइन का अनुवाद करता है इसलिए अगर किसी लाइन में कोई गलती पाई जाती है तो पहले उस गलती को ठीक करना पड़ेगा फिर इंटरप्रेटर अपना काम वहीं से शुरू करेगा।
समय कम लगता है। एक एक लाइन का उन्माद करने के कारण समय बहुत लगता है।


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