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ई-मुद्रा क्या है।

ई-मुद्रा एक तरह की डिजिटल करेंसी होती है। जिसका प्रयोग हम कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस यानि लैपटॉप स्मार्टफोन के माध्यम से कर सकते हैं इसे हम छु नहीं सकते क्योंकि इसका अस्तित्व केवल ऑनलाइन खरीद बेच और ट्रान्सफर करने तक ही सिमित होता है। इसे हम क्रिप्टोकरेंसी भी कहते है। क्रिप्टोकरेंसी व्यापर करने के लिए बीच का एक माध्यम है जिसकी सहायता से सुरक्षित व्यापर को किया जा सकता है। अभी तक बिट कॉइन जैसी ई-मुद्राओं पर किसी भी सर्कार का प्रभुत्व नहीं हो पाया है।

क्रिप्टोग्राफी क्या है

क्रिप्टोग्राफी में हम किसी भी सुचना या डाटा को भेजते समय एक सीक्रेट कोड के माध्यम से बदल देते हैं जिसे एनकोडिंग (encoding) बोलते हैं। एनकोड सुचना को अपने लक्ष्य तक पहुँचने के बाद उसे पढने के लिए सुचना को उसी सीक्रेट कोड की सहायता से डिकोड (decode) करना होता है ताकि उस सुचना को पढ़ा जा सके। इस माध्यम से ये फायदा होता है की अगर ये सुचना भेजने वाले और सुचना लेने वाले के अलावा कोई भी पढता है तो उसे कुछ भी समझ में नहीं आ पायेगा क्योंकि उसे उस सीक्रेट कोड के बारे में नहीं पता है। हिंदी में आप एनकोडिंग व् डिकोडिंग को कूटलेखन भी कह सकते हैं।

बिटकॉइन (Bitcoin) क्या है।

बिटकॉइन आज के समय का बहुत ही प्रचलित नाम बन गया है। इसकी लोकप्रियता दिनों दिन बढती जा रही है। हर कोई इसको इन्वेस्टमेंट के तोर पर खरीदना चाहता है। आखिर क्या है ये बिटकॉइन आईये जानते है इसके बारे में।

बिटकॉइन एक वर्चुअल मुद्रा है। इस मुद्रा से हम कुछ भी फिजिकली खरीद या बेच नहीं सकती है ये एक डिजिटल मुद्रा है जिसका वास्तव में केवल ऑनलाइन ही अस्तित्व है। इसकी वैल्यू केवल डिजिटल ही है अगर आपके पास कंप्यूटर लैपटॉप या स्मार्टफ़ोन नहीं है तो आप इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते। बिटकॉइन का प्रयोग ऑनलाइन खरीद और हस्तांतरण के लिए किया जाता है। बिटकॉइन का अविष्कार सातोशी नकमोटो ने वर्ष 2008 में किया था और सन 2009 में उसने इसे ओपन सोर्स के रूप में जारी कर दिया। अब आप सोच रहे होंगे की ये ओपन सोर्स क्या होता है। इसके बारे में हम एक पोस्ट और लिखने वाले है जिसमे आपको ये पता चलेगा की ये ओपन सोर्स आखिर क्या चीज है और इसका क्या फायदा है। इस मुद्रा के प्रचलित होने का मुख्या कारण ही इसका ओपन सोर्स होना है। इसके इस्तेमाल और भुगतान के लिये क्रिप्टोग्राफी क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल किया जाता है इसलिये इसे क्रिप्टो करेंसी क्रिप्टो करेंसी भी कहा जाता है। दुनिया में सन 2009 में अस्तित्व में बिट कॉइन पहली क्रिप्टोकरेंसी बनी। इसको शुरुआती तौर पर पाने के लिए इसकी माइनिंग की जाती है या फिर ख़रीदा भी जा सकता है। खरीदने के लिए आपको किसी भी देश की करेंसी या मुद्रा का इस्तेमाल करना होता है कुछ वेबसाइट तो बिट कॉइन को व्यापार के उदेश्य से भी इस्तेमाल करने लगी हैं। जैसे आप अपनी मुद्रा या करेंसी को पर्स में रखते हैं उसी तरह से बिट कॉइन को रखने देदे टुए की आवश्यकता होती है। जिसे बिट कॉइन वॉलेट कहते हैं।

बिटकॉइन पैदा कहाँ से होते हैं। और बिटकॉइन का मालिक कोन है।

बिटकॉइन को बनाते समय इस बात का ध्यान रखा गया कि यह कब और कितने मात्रा में और कैसे बनाए जायें जाकी इसका उपयोग सही मायने में हो सके। जिस तरह से ज्यादा मात्र में कोई करेंसी बाज़ार में आ जाये तो उसका महत्त्व खत्म हो जाता है उसी तरह से बिटकॉइन की भी सिमित ही मात्रा में पैदा किया जा सकता है। इसके शुरुआत से ही इसे ओपन सोर्स रखा गया है जिसके कारण कोई एक व्यक्ति इसको कण्ट्रोल नहीं कर रहा है। कोई भी जो कंप्यूटर का अच्छा जानकार हो और प्रोग्रामिंग जानता हो वह इस मुद्रा को बनाये जाने वाले कोड को डाउनलोड करके उसमें प्रोग्रामिंग करके अपना योगदान दे सकता हैं। अभी इसमें बड़ी बड़ी संस्थाएं मैनेज कर रही हैं।


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