म्यूच्यूअल फंड क्या होता है
शेयर बाजार से शेयर को खरीदने के लिए हमें कई तरह की रिसर्च करनी पड़ती है और डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना पड़ता है डिमैट अकाउंट वह अकाउंट होता है जिसमें हमारे शेयर रख सकते हैं और इसी तरह से इन शेयरों को खरीदने के लिए ट्रेडिंग अकाउंट की आवश्यकता पड़ती है
वैसे तो कोई भी व्यक्ति इन अकाउंट को खुलवा कर शेयरों की खरीद बेच शुरू कर सकता है परंतु उसके लिए काफी रिसर्च करनी पड़ती है ताकि शेयरों को खरीद कर उस पर मुनाफा कमाया जा सके इसी के साथ ही आम लोग जो नौकरी पेशा या बिजनेसमैन होते हैं उनके पास इतना समय नहीं होता कि अच्छी कंपनी के शेयरों को रिसर्च के माध्यम से ढूंढ सके ताकि उसे खरीदा जा सके और जब कंपनी का कारोबार ठीक ना हो तो उसे सही समय पर बेचा जा सके तो इसी दुविधा को दूर करने के लिए कुछ कंपनियां काम करती हैं जिसे हम ऐसेट मैनेजमेंट कंपनीज कहते हैं यह हमारे देश में काफी सारी हैं जैसे एसबीआई ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी एचडीएफसी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी मी फोन ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी यूटीआई ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी यह कंपनियां कई तरह की स्कीम में निकालती है जिसके लिए यह फंड को मैनेज करने के लिए फंड मैनेजर को रखती हैं जो उस फंड में अपनी रिसर्च के आधार पर इन्वेस्टमेंट करता है
अगर किसी को भी म्यूच्यूअल फंड खरीदना है तो उसे ऐसेट मैनेजमेंट कंपनियों के पास कुछ राशि जमा करवा कर उसके यूनिट खरीदने पड़ते हैं हर एक यूनिट की राशि का निर्धारण हर रोज शाम को खरीद बेच के आधार पर किया जाता है और एक वैल्यू निर्धारित कर दी जाती है जिसे एनएवी (NAV) कहते हैं
म्यूच्यूअल फंड खरीदने की समय सीमा
म्यूच्यूअल फंड खरीदने या बेचने के लिए एक समय निर्धारित किया जाता है क्योंकि आम बाजारों की तरह शेयर बाजार का भी एक समय होता है जिस समय में शेरों की खरीद और बेच होती है तो जिस समय पर हम खरीदने या बेचने के लिए म्यूचल फंड मैनेजर को रिक्वेस्ट डालेंगे उसी के आधार पर हमारी एनएवी (NAV) निर्धारित होती है
कंपनी को इससे क्या फायदा होता है
कोई भी म्यूच्यूअल फंड कंपनी जब म्यूच्यूअल फंड को लॉन्च करती है और उसके लिए एक फंड मैनेजर को लगाती है तो हर एक म्यूच्यूअल फंड स्कीम की एक निर्धारित फीस भी रखी जाती है यह समय समय पर बदलती रहती है उस बीच में से म्यूच्यूअल फंड मैनेजर का खर्च निकाला जाता है और कंपनी का खर्च भी निकाला जाता है तथा इसके बाद जो बचता है वह कंपनी का प्रॉफिट बन जाता है
म्यूच्यूअल फंड खरीदने के फायदे
हमें किसी भी कंपनी को खरीदने के लिए रिसर्च नहीं करनी पड़ती कि वह कंपनी खराब है या सही है इसका पूरा जिम्मा हम फंड मैनेजर पर छोड़ देते हैं वह कंपनी पर रिसर्च करता है और जो कंपनी अच्छी लगती है उसके शेयर खरीद लेता है
म्यूच्यूअल फंड के नुकसान
वैसे तुम म्यूचुअल फंड के फायदे ही फायदे होते हैं अगर म्यूचुअल फंड में लंबे समय के लिए निवेश किया जा सके छोटी अवधि में इसमें नुकसान भी उठाना पड़ सकता है
हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि इसमें फायदे ही फायदे होते हैं क्योंकि शेयर बाजार जोखिम से भरा बाजार है और इसमें लगाए हमारे पैसे डूब भी सकते हैं जैसे बैंक में हमारे रखे पैसे सुरक्षित माने जाते हैं म्यूचुअल फंड में हर समय रिस्क बना रहता है
बाजार में बहुत तरह के म्यूचल फंड उपलब्ध है तो एक आम इंसान जिसे शेयर बाजार का ज्ञान नहीं है उसे यह पता नहीं चल पाता कि उसे कौन सा म्यूच्यूअल फंड खरीदना चाहिए
DISCLAIMER
शेयर बाजार में खरीद बेच करना जोखिमों के अधीन होता है और म्यूचुअल फंड भी शेरों की खरीद बेच ही करते हैं इसलिए निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की सहायता जरूर ले लें यह पोस्ट केवल एजुकेशन देने के लिए है
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